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तन्हाई में खोया, अकेला हूँ मैं | Judai Aur Tanhai Ki Dastaan | Sad Ghazal | दर्द भरी ग़ज़ल

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दिल से देखा तो भरी महफिल में खुदको अकेला पाया। अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें तन्हाई में बैठूं तो इल्ज़ाम-ए-मुहब्बत। क्या करें इश्क की तासीर ही ऐसी होती है। मुझे लोगों ने बुलाया मुझे छू कर देखा…” चारों तरफ़ दरिया की सूरत फैली हुई बेकारी https://youtu.be/Lug0ffByUck

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