मोहब्बत छोड़ देंगे या मोहब्बत ही करेंगे लोग। “मिरी ख़्वाहिश है कि आँगन में न दीवार उठे हफ़ीज़ जालंधरी टैग : दोस्त शेयर कीजिए मेरी तन्हाई में ख़्वाबों के सिवा कुछ भी नहीं कुछ तो हवा भी सर्द थी कुछ था तिरा ख़याल भी मेरी तन्हाई में ख़्वाबों के सिवा https://youtu.be/Lug0ffByUck